जीत किसकी (BL Love Story) (लेखनी प्रतियोगिता -22-Aug-2023)
अभी तक आपने पढ़ा की मुखिया जी ऋषभ को उसकी और नेहा की शादी का फरमान सुना देते है जिसे दुखी होकर ऋषभ अपनी मां को याद करके रोने लगता है।
ऋषभ कहता है अब मुझे आयुष को ये बताना ही होगा की मैं उससे प्यार करता हूं, लेकिन क्या वो भी मेरे लिए यह महसूस करता होगा या नहीं, अब मैं क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहा। पर बात तो करनी ही होगी, फिर चाहे उसका जो फैसला हो।
वही दुसरी तरफ आयुष खुद से ही कहता है, 2 दिन बाद ऋषभ का जन्मदिन है "मैं तब उससे बता दूंगा की अब मैं उसके बिना नहीं रह सकता, क्योकी मैं उससे बहुत प्यार करता हूं। “पर दोनो मे से कोई नहीं जानता था की वो दिन उनकी जिंदगी का आखिरी दिन बनने वाला है।
"इश्क कोई सफर नहीं जिसमे मंजिल मिले,
इश्क कोई सौदा नहीं जिसमें नफा नुकसान मिले,
इश्क तो वो दरिया हैं जिसमें डूब कर खुदा मिले !!"
अगले दिन आयुष कॉलेज जाने के लिए ऋषभ से मिलाता है तो उसका उतरा हुआ फेस देख कर पुछता है "की क्या बात है तुम इतना उदास क्यो हो, अगर कोई बात है तो तुम मुझे बता सकते हो ।"
ऋषभ मुझसे तुमसे कुछ बात करनी है, क्या हुआ ऋषभ सब ठीक तो है ना। आयुष
आयुष, ऋषभ से कहता है "आज शाम को नदी के दुसरी तरफ मिलते है मुझे भी तुमसे कुछ जरुरी बात करनी है।" ऋषभ भी खुशी खुशी हाँ कर देता है।
आज का दिन दोनो की जिंदगी में जहां दुनिया भर की खुशी लाने वाला था वही उनकी जिंदगी में एक ऐसा तूफान आने वाला था जो सब कुछ खत्म करने वाला था।
शाम के समय ऋषभ अच्छे से तैयार होकर आयुष से मिलने जाता है।
आज आयुष ऋषभ को देख कर उसके पास आता है ओर उसे गले लगा कर कहता है, आयुष मुझे नहीं पता की मेरे साथ क्या हो रहा है, मैं तुम्हारे बिना एक अकेला नहीं रह पाता।
ये बात सुन कर ऋषभ कहता है , की इससे प्यार कहते हैं पागल, मैं भी तुम्हारे काई दिनो से ये बात बताता था कि मैं तुमसे प्यार करता हूं और अब एक पल भी तुम्हारे बिना नहीं रह सकता, पर तुम इतने भोले हो की कहीं मेरी बात का गलत मतलब न समझ लो बस यही सोच कर अब तक चुप रहा।
मैं तुम्हें उदास नहीं सकता फिर चाहे मुझे ये बात अपने दिल में ही क्यों ना छुपा कर रखनी पड़ती।
फिर दोनो एक दसरे को आई लव यू बोल कर गले लग जाते हैं।
आज दोनो ही एक दूसरे से अपने प्यार का इजहार कर लेते हैं।
अभी दोनो के घर में किसी को नहीं पता की दोनो ही समलैंगिक है।
आज भी भारत में दो लड़कों का या दो लड़कीयों का एक दुसरे से शादी करना गलत ही माना जाता है। आज दोनो बहुत खुश थे, दोनो ही पहली बार एक दुसरे को लिप किस करने लगते हैं, काफी देर के बाद दोनो अलग होते हैं।
"आज मैं बहुत खुश हूं आयुष क्योकि मुझे आज तुम मिले हो, मैं अपनी पूरी लाइफ तुम्हारे साथ जीना चाहता हूं, क्या हमारे घर वाले इस रिश्ते की मंजूरी देंगे? बोलो आयुष कुछ तो बोलो।
तुम हमेशा मेरे साथ रहोगे ना मुझे छोड़ तो नहीं दोगे ना।"
"ऋषभ हमें कोई भी अलग नहीं कर सकता। तुम्हे डरने की जरूरत नहीं है। मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा। तुम्हे अपने आयुष पर विश्वास है ना, चलो अब थोड़ा सा मस्कुरा दो ओर ध्यान से घर जाओ बाकी की बात हम कल करेंगे।
यहाँ ज्यादा देर रूकना ठीक नहीं हैं फिर वो दोनो एक दुसरे को अलविदा बोल कर अपने अपने घर चले जाते हैं। दोनो की खुशी का अंदाजा उनके चेहरे की खुशी को देख कर लगाया जा सकता था। पर कहते हैं ना जो आसानी से मिल जाए वो प्यार नहीं होता। बस यही उन दोनो के साथ भी होने वाला था।
ऋषभ जैसे ही घर के दरवाजे पर पहुँचता है, " मुखिया जी खींच कर उसे एक थप्पड़ मार देते हैं ओर कहते हैं तुम्हारे जन्मदिन के दिन तुम्हारी सगाई है नेहा के साथ ओर अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी तो मैं आयुष को जान से मरवा दूंगा’ इतना कह कर वो वहा से चले जाते हैं।
असल मे हुआ ये था की जब दोनो एक दूसरे को किस कर रहे थे तब मुखिया जी यानी ऋषभ के पिता दोनो को देख लेते हैं, वो ये स्वीकार नहीं कर पा रहे थे कि उनका बेटा समलैंगिक है। वो काफ़ी देर तक वहीं टहलते रहे। फिर कुछ सोच कर घर की तरफ चले जाते हैं।
ऋषभ किसी तरह खुद को संभालता है और आयुष के घर की तरफ जाने लगता है, वो जैसे ही वहा पहुता है। आयुष उसे घर के बाहर ही मिल जाता है, और ऋषभ का उतरा हुआ फेस देख कर डर जाता है। अब उसे किसी अनहोनी का डर सताने लगता है।
आयुष ऋषभ का डरा हुआ फेस देख कर उससे पूछता है की क्या बात है तुम इतने डरे हुए क्यों हो। बोलो, अब ऋषभ आयुष को अपनी ओर अपने पिताजी के बीच हुई सारी बातचीत बता देता है। आयुष ऋषभ से कहता है, "यह बात एक ना एक दिन तो सबको पता चलनी ही थी, तो आज ही सही। तुम्हे घबराने की जरूरत नहीं है। सब ठीक हो जाएगा। हम साथ में जी नहीं सकते तो क्या हुआ मर तो सकते है। शायद हमारा साथ इस जहां मे यही तक का था।"
ये सब सुन कर ऋषभ आयुष के गले लग जाता है। और दोनो ही रोने लगते है। आयुष अपने आंसु पौंछ कर ऋषभ को चुप करवाता है फिर दोनो ऋषभ के जन्मदिन के दिन गांव की नदी मे कुद कर जान देने का तय करते है। वही दुसरी तरफ मुखिया जी अपने मुंशी को सब बता कर उसको धमकी देते हैं की वो अपने बेटे को लेकर गांव से कहीं दूर चले जाएं वरना वो उसके पूरे परिवार को खत्म कर देंगे। मुखिया जी को अपने बेटे की खुशी से ज्यादा अपने अपमान की चिंता थी वो ये नहीं चाहते थे कि किसी को भी उनके बेटे की सच्चाई का पता चले। वो इस बात से बेखबर है की उनकी ये जिद उनके बेटे की जान ले सकती है।
रात को सब खाना खा कर सोने चले जाते हैं, पर आज दो लोगो की आंखों में नीद दूर तक नहीं थी, था तो बस अपने प्यार के साथ ना जी पाने का गम।
आज वो दिन आ गया था जिसे दोनो को इंतजार था, आज ऋषभ का जन्मदिन है और वो सुबह से अपने रूम से बहार नहीं निकला था।
दोपहर के समय ऋषभ धीरे से अपने कमरे से बाहर झांकता है वह देखता है की बाहर कोई नहीं है और सभी सेवक घर की सजावट में व्यस्त है तो वो चुप चाप घर से बाहर चला जाता है। जहा आयुष उसका इंतजार कर रहा होता है उसे देखते ही उसके पास आ कर उसे कस के गले लगा लेता है दोनो की आँखों से आँसू की धारा बहने लगती है, ऋषभ का रोना सिस्कियो में बदल जाता है। आयुष किसी तरह उससे चुप कराता है, ओर उसे जन्मदिन की शुभकामनाएं देता है, । कफी देर तक दोनो ऐसे ही खड़े रहते हैं फिर एक दसरे का हाथ थाम कर नदी की ओर चल पड़ते है। दोनो नदी के पुल पर पहुंच कर एक दसरे को गले लगाते हैं ओर किश् करते हैं। दोनो की आंखे फिर एक बार नम हो जाती है, वो लोग एक बार पीछे मूड कर गांव की तरह देखते हैं और एक दूसरे का हाथ धाम लेते हैं।
"ऋषभ हम यहाँ साथ नहीं रह सकते तो क्या हुआ, हम वहा हमेशा साथ रहेंगे।" आयुष ऊपर की तरफ इशारा करके कहता हैं, "वहा ना तो घर वाले होंगे और ना ही दुनिया वाले, जो हमे अलग कर सके। अगर ईश्वर ने हमें ऐसा बनाया है तो इसमे हमारी क्या गल्ती है। हम तो सिर्फ एक साथ रहना ही तो चाहते थे। पर शायद किसी को ये मंजुर नहीं। ओर फिर दोनों एक साथ नदी में छलांग लगा देते हैं। आज एक पिता की ज़िद के आगे उनका बेटा मौत की बलि चढ़ गया था।
वर्तमान मे
दोनो की लाशो को घर की तरफ ले जाते हुए, मुखिया जी यही सब सोच रहे होते हैं। पर अब कुछ नहीं किया जा सकता था, क्योकी जाने वाले तो जा चुके थे, इस दुनिया को छोड कर अपनी प्यार की दुनिया में। जहां सिर्फ प्यार ही प्यार है, न कोई बंधन न किसीका कोई डर।
जीत किसकी उन दोनों के सच्चे प्यार की या फिर मुखिया की ज़िद और उसकी सोच की ?
(ये मेरी एक छोटी सी कोशिश थी कुछ लिखने की, अगर आप लोगो को मेरी ये कहानी पसंद आई हो तो प्लीज मुझे कमेंट और लाईक जरूर करे। थैंक्यू )
🔱 हर हर महादेव 🔱
✍ Pooja Sarathe